कमतर ना समझना
विवाह बंधन तोड़ दूँ क्या
अकेला तुझे छोड़ दूँ क्या?
हर महीने रख पगार हाथ
मायके ओर दौड़ दूँ क्या?
स्नेह-मोहब्बत का है रिश्ता
टकराहट में मोड़ दूँ क्या?
रमेश जी खूब कमाते हैं
तुझको भी यह होड़ दूँ क्या?
दिल बहुत दुखाता है मेरा,
तेरे नाम के व्रत तोड़ दूँ क्या?
मान लो सर्वोपरी हूँ मैं ही
समाज में तुझे गोड़ दूँ क्या?
दर्ज करा दी है तेरी रिपोर्ट
सास-ननद को जोड़ दूँ क्या?
क्रोध में बेलन हाथ लगा,
तेरा सिर फोड़ दूँ क्या?
कमतर ना समझना सविता
कहीं-कभी भी ठौड़ दूँ क्या ?
..सविता मिश्रा
(ठौड़ मतलब ठौर)
..सविता मिश्रा ‘अक्षजा’