कविता

लक्षण बचपने प्रेम के

जब कॉपियों में नाम लिखने की आदत रंगीन हो,
जब रातों के सपने हंसींन हो,
जब उनके अपनो से भी मुलाकात हो,
पर घुमा के उन्ही की बात हो,
जब फेयर अनायास ही बदले जाएं,
कभी न आने वाले हर रोज स्कूल को आएं,
जब प्रतिस्पर्धा में भी आत्मसमर्पण हों,
जब उनका दीदार ही नैनो का तर्पण हो,
जब उनकी पसंद अपनी बन जाए,
दिमाग उनके प्रति ख़ुफ़िया हो जाए,
जब न चाह के भी जुबां चटोरी हो जाए,
जब गर्मी की दोपहरी भी थोड़ी हो जाए ,
जब अपने से भी ज्यादा फिक्र उनकी सताए ,
छोटी छोटी बातें भी दिल को छू जाए ,
जब उनको पाना ही जरूरी हो जाए ,
पर दिल फिर भी कुछ भी न कह पाए ,
जब आप आप मे ही घुट जाएं,
फिर भी उसका भी लुप्त उठाएं ,
बाते दिन भर उनसे ही की जाएं ,
पर कहने को काफी कुछ रह जाए,
यह सब लक्षण जब दिखलाएं,
कुछ और भी परिवर्तन आए,
इस जग में यह रोग ही बैरी प्रेम कहलाए।।

नीरज पांडे

नीरज पांडे सुल्तानपुर उत्तर प्रदेश