कविता

“स्वर-व्यंजन” की मिश्रित भाषा ये “काव्या”

पर्याय जहाँ..
भाव-भावना हो ।
विलोम जहाँ..
स्वर-स्वरशाला न हो ।
सुगंध यहाँ..
संवाद-संवेदना की हो ।
वैचारिकताओं में यहाँ..
चहक-महक की खनकार हो ।
गहराई जहाँ..
सागर-नदियों सी लहर हो ।
उतार-चढ़ाव..
ज्वार-भाटा का कलराव हो ।
साकार यहाँ..
ऑसमा तक निराकार धरा हो ।
विशाल वट बन जहाँ..
तटिनी बन धरणी कहती हो ।
गौरव गाथा में यहाँ..
श्वेत-श्यामला वर्णित हो ।।

— उमा मेहता त्रिवेदी

उमा मेहता त्रिवेदी

1- रचनाकार पूरा नाम::श्रीमति उमा मेहता त्रिवेदी 2- पिता::श्रीयू.एन.मेहता सा../पति का नाम:: आर.त्रिवेदी 3- शिक्षा/जन्म तिथि::M.Sc(Geo)+Bed /6July 79 4- प्रकाशन विवरण .::Many National,stet& local leval K newspapers N Megjins me ...Many Artical,Vayggy,Rachnaye Also...Gazal ssss . Published... 5- सम्मान का विवरण (यदि कोई हो तो दें)::Many times Stet & National awarded In Kavy path also..भारत के प्रतिभाशाली &गौरवशाली साहित्यकार पुरस्कार ,,अमृत सम्मान पुरस्कार ...कृति प्रकाशन से सम्मानित,, अब तक चार साझा-संगृह मे प्रकाशित हो चुकी 90% रचनाएँ, आर्टिकल एंव गजल साथ ही गाने और व्यंग्य भी लिखने का शौक रखती है । लिखना और पढ़ना इनकी उपासना के साथ शोक व पंसद भी है । कयी वेब साईड पर इनकी रचनाएँ प्रकाशित होती रहती है ।