गुम सा हूँ कही मैं
गुम सा हूँ कही मैं
खुद में
ढूंढती हूँ वजह
बेवजह तुझमे
तलाशना चाहती हूँ
खुद को तुझमे
कि कही आज भी
शायद मेरे लिये जगह खाली हो
लेकिन नही
तुम कब का भूल चुके हो
मग्न हो अपनी दुनियां में
लेकिन मैं कैसे भूल सकती हूँ
तुम्हारे साथ बिताये हुये पल
ढूंढती हूँ आज भी
वे सभी नजारे
कही मिल जाये तुझमें ।
निवेदिता चतुर्वेदी’निव्या’