भेद – भाव
सब कहते है !
ईश्वर एक है !
तो क्यों हम
घर के पास
मस्जिद में ना
जाकर, घर से
कोसो दूर मंदिर
में क्यों जाते है !
हम दिवाली की
जगह ईद क्यों
नहीं मानते है !
आखिर हमने
क्यों ईश्वर
को बांटा
हुआ है !
जबकि ईश्वर
एक है !
जो ऊपर बैठे
है, और
इस बटवारे
के खत्म
होने का इंतज़ार
कर रहे है !
इस कविता को यों भी लिख सकते हैं-
सब कहते हैं ईश्वर एक है !
तो क्यों वे घर के पास
मन्दिर में ना जाकर,
घर से दूर मस्जिद में क्यों जाते हैं !
वे ईद की जगह होली-दिवाली क्यों नहीं मनाते हैं !