गीतिका/ग़ज़ल

आज भी तुम से मिलने की आस हैं

आज भी तुमसे मिलने की आस है
बात वही पुरानी समझ लो खास है

न जाने कब सुबह से शाम हो जाती
जब दो दिल बैठते आपस मे पास है

रिश्तो से दूर कही हो चले थे तुम
लौट आओगे एक दिन मन मे विश्वास है

याद तो आज भी आती है तुम्हारी
यही सोचकर ये दिन भी उदास है

फिकर करना छोड़ दी ‘निवेदिता’
दूर ही सही लेकिन हमेशा आसपास है।
निवेदिता चतुर्वेदी’निव्या’

निवेदिता चतुर्वेदी

बी.एसी. शौक ---- लेखन पता --चेनारी ,सासाराम ,रोहतास ,बिहार , ८२११०४