कविता

वक्त

अब तो खत नही आते,
अब तो खत नही जाते,
जो दिल से निकलते थे,
अब वो बोध नही आते।

अब कहाँ दिल धड़कते है,
अब कबूतर कहाँ उतरते है,
कहाँ कौवे संदेश देते है,
अब कहाँ हम लरजते है।

आधुनिक समान भर बैठे,
वो अपने हम अपने घर बैठे,
अब तो नया जमाना है,
किसको कहाँ जाना है ।

अब रोज बात होती है,
फोन मे सुबह शाम होती है,
सिमट गयी है जिंदगी ऐसी,
निगाह बे लगाम होती है।

जमाना बदला,सोच बदली है,
दौड़ती दुनिया, रफ्तार बदली है,
किस को फुरसत है गम सुनने की,
जब खुद की हालत पतली है।

हृदय जौनपुरी

हृदय नारायण सिंह

मैं जौनपुर जिले से गाँव सरसौड़ा का रहवासी हूँ,मेरी शिक्षा बी ,ए, तिलकधारी का का लेख जौनपुर से हुई है,विगत् 32 बरसों से मैं मध्यप्रदेश के धार जिले में एक कंपनी में कार्यरत हूँ,वर्तमान में मैं कंपनी में डायरेक्टर के तौर पर कार्यरत हूँ,हमारी कंपनी मध्य प्रदेश की नं-1 कम्पनी है,जो कि मोयरा सीरिया के नाम से प्रसिद्ध है। कविता लेखन मेरा बस शौक है,जो कि मुझे बचपन से ही है, जब मैं क्लास 3-4 मे था तभी से