” आंखों बसा खुमार है ” !!.
आंखों में सूनापन छाया ,
दिखता नहीं करार है !
नशा प्यार का उत्तर गया जी ,
आंखों बसा खुमार है !!
गहराई क्या नापेगें जी ,
ऐसे गहरे उतर गये !
हाथ पैर भी मार सके ना ,
सपने सारे बिखर गये !
सन्नाटे को चीर रहा बस ,
केवल हाहाकार है !!
झेल ना पाये झंझावात कि ,
हिम्मत जैसे टूट गयी !
कल तक तो किस्मत अपनी थी ,
पल में कैसे रूठ गयी !
अपने हैं अपनी चिंता में ,
किसको करें गुहार हैं !!
तिनका तिनका जोड़ेगें फिर ,
उम्मीदें दामन बांधी !
आज समय ने लूटा है तो ,
जीतेगें कल हम बाज़ी !
कदम लड़खड़ा नहीं सकेगें ,
हिम्मत हठी सवार है !!