कविता

गाँधीं जयंती पर कविता

सत्य और अहिंसा का दूसरा नाम था बापू ……..

शरीर से दुबले – पतले लेकिन आत्मा के महान थे बापू ,
शरीर पर सिर्फ़ धोती धारण करते पर दिल के धनी थे बापू ,
अपनी बात पर अडग ,अहिंसा के पुजारी थे बापू ,
इन्हीं सब गुणों से भरपूर थे बापू ।।

भारत का गौरव थे बापू ,
राम के पुजारी और गीता के उपासक थे बापू,
सादे विचारों से क्रांति लाने वाले थे बापू ,
साधना , त्याग , बलिदान और तपस्या की प्रतिमूर्ती थे बापू ।।

सत्य और अहिंसा का दूसरा नाम था बापू ……

नूतन गर्ग (दिल्ली)

*नूतन गर्ग

दिल्ली निवासी एक मध्यम वर्गीय परिवार से। शिक्षा एम ०ए ,बी०एड०: प्रथम श्रेणी में, लेखन का शौक

One thought on “गाँधीं जयंती पर कविता

  • विजय कुमार सिंघल

    झूठ और पाखंड का दूसरा नाम था एम के गाँधी ! यह कहना सरासर झूठ और शहीदों का अपमान है कि गाँधी ने आज़ादी दिलाई. वास्तव में वह दुराग्रही थे और लोगों का भावनात्मक शोषण करते थे.

Comments are closed.