धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

शरद पूर्णिमा

शरद पूर्णिमा को कोज़ोगार पूर्णिमा व्रत, रास पूर्णिमा भी कहते हैं । कुछ क्षेत्रों में इसको कौमुदी पूर्णिमा भी कहा जाता है । इस दिन भगवान विष्णु और चंद्रमा का पूज़न किया ज़ाता है । व्रत कथा भी की जाती है । इस दिन चंद्रमा अपनी १६ कलाओं से परिपूर्ण रहता है ।

धर्म ग्रंथों के अनुसार इस दिन श्री सूक्त लक्ष्मी का पाठ करके हवन करना चाहिये । ऐसा करने से लक्ष्मी जी प्रसन्न होती हैं और धनधान्य से परिपूर्ण रहते हैं । इसलिये आश्विन मास की पूर्णिमा को सबसे श्रेष्ठ माना गया है । इस पूर्णिमा को आरोग्य हेतु फलदायक भी माना गया है ।

मान्यताओं के अनुसार इस दिन चंद्रमा से अम्रत की वर्षा होती है इसीलिये खीर (चावल , चोले , मखाने) बनाकर पूरी रात चंद्रमा की रोशनी में रखकर सुबह प्रसाद रूप में ग्रहण की जाती है । काँच या चाँदी के बर्तन में इसको रखा जाये तो ज़्यादा श्रेष्ठ होता है । कहा जाता है कि चंद्रमा की किरणें खीर में समाहित हो जाती हैं जिसका सेवन करने से सारे रोंगों का निवारण हो ज़ाता है । आयुर्वेद में भी इसकी चाँदनी का औषधीय महत्व बताया गया है ।

शरदपूर्णिमा की रात्रि को कुबेर यंत्र की भी पूज़ा की जाती है । प्रथ्वी लोक की धन संपदा का इन्हें ही एकमात्र स्वामी बताया गया है । ये शिव के सेवक और अधिपति भी हैं इनकी अराधना करने से धन प्राप्ति के रास्ते खुलते हैं । इनकी अराधना करते हुए अगर शिवलिंग पर जल चढ़ाया जाये तो और भी अच्छा माना गया है ।

इस दिन से ही शरद ऋतु का प्रारंभ होता है । सफ़ेद वस्तुओं का दान देना भी श्रेयकर माना गया है जिससे प्रेम और सौहार्द में बढ़ोत्तरी होती है । इस दिन पूज़ा करने से धन , प्रेम और स्वास्थ्य तीनों बेहतर होते हैं । मन प्रसन्न रहता है । कहीं – कहीं पर उपवास रखने का भी चलन है । सब अपनी सहूलियत के हिसाब से इसको करते हैं ।

शरद पूर्णिमा की रात को नौका विहार और नदी में स्नान करने का भी चलन है । चंद्रमा को जल व पुष्प भी अर्पित किये जाते हैं। इस रात प्रकृति की छटा मन को हर्षित करने वाली होती है । नाना प्रकार की सुगंध से वातावरण ख़ुशनुमा हो जाता है ।

चंद्रमा के समान ही हमारे मन की अवस्था भी घटती बढ़ती रहती है । अमावस्या के घोर अंधेरे से पूर्णिमा के पूर्ण प्रकाश तक की यात्रा ही मानव जीवन का लक्ष्य होना चाहिये । कुछ ऐसी ही अनुभूति शरद पूर्णिमा में हर किसी की होनी चाहिये ।

नूतन गर्ग ( दिल्ली )

*नूतन गर्ग

दिल्ली निवासी एक मध्यम वर्गीय परिवार से। शिक्षा एम ०ए ,बी०एड०: प्रथम श्रेणी में, लेखन का शौक