मचलती तमन्नाओं ने
मचलती तमन्नाओं ने आज़माया भी होगा
बदलती रुत में ये अक्स शरमाया भी होगा
पलट के मिलेंगे अब भी रूठ जाने के बाद
लड़ते रहे पर प्यार कहीं छुपाया भी होगा
अंजाम-ए-वफ़ा हसीं हो यही दुआ माँगी थी
इन जज़्बातों ने एहसास जगाया भी होगा
सोचना बेकार जाता रहा बेवजह के शोर में
तुम आये हो तो किसी ने बुलाया भी होगा
किस तरह अब आकर तुम से मिल जाऊँ
तुझे हाल-ए-दिल किसी ने बताया भी होगा
छुप छुप के सबसे, पढ़ता है कोई बार बार
किताब में बारहा मेरा नाम आया भी होगा
ये उलझी हुई कहानी यूँ बोल न पड़े ‘राहत’
उसने मेरी याद का दिया जलाया भी होगा
डॉ. रूपेश जैन ‘राहत’
१४/१२/२०१८