एहसास जुड़े
आज नये कुछ अहसास
मन के किसी कोने में
खुद के होने का अहसास
खोया हुआ था कहीं आज
हुआ ये अहसास कि खुद को होना
ये अहसास कि मैं जी लूं कुछ पल अपने लिए भी ।
आज फिर जताया किसी ने
बेशर्म हूँ मैं जो मार कर
खुद का स्वाभिमान
जीती हूँ दूसरों के लिए
आज हुआ मुझे ये अहसास
स्वाभिमान बचाना कितना जरूरी है खुद के लिए।
मैं मुर्ख नारी समझ बैठी थी सभी को अपना
पर वो न थे मेरे अपने आज हुआ ये अहसास।
जुड़ते जातें है हर रोज कुछ अहसास
अनुभव की तरह कुछ नये अहसास
जिन्दगी की किताब में नये अध्यायों की तरह।
— अल्पना हर्ष