कविता

एहसास जुड़े

आज नये कुछ अहसास
मन के किसी कोने में
खुद के होने का अहसास
खोया हुआ था कहीं आज
हुआ ये अहसास कि खुद को होना
ये अहसास कि मैं जी लूं कुछ पल अपने लिए भी ।
आज फिर जताया किसी ने
बेशर्म हूँ मैं जो मार कर
खुद का स्वाभिमान
जीती हूँ दूसरों के लिए
आज हुआ मुझे ये अहसास
स्वाभिमान बचाना कितना जरूरी है खुद के लिए।
मैं मुर्ख नारी समझ बैठी थी सभी को अपना
पर वो न थे मेरे अपने आज हुआ ये अहसास।
जुड़ते जातें है हर रोज कुछ अहसास
अनुभव की तरह कुछ नये अहसास
जिन्दगी की किताब में नये अध्यायों की तरह।
— अल्पना हर्ष


अल्पना हर्ष

जन्मतिथी 24/6/1976 शिक्षा - एम फिल इतिहास ,एम .ए इतिहास ,समाजशास्त्र , बी. एड पिता श्री अशोक व्यास माता हेमलता व्यास पति डा. मनोज हर्ष प्रकाशित कृतियाँ - दीपशिखा, शब्द गंगा, अनकहे जज्बात (साझा काव्यसंंग्रह ) समाचारपत्रों मे लघुकथायें व कविताएँ प्रकाशित (लोकजंग, जनसेवा मेल, शिखर विजय, दैनिक सीमा किरण, नवप्रदेश , हमारा मैट्रौ इत्यादि में ) मोबाईल न. 9982109138 e.mail id - [email protected] बीकानेर, राजस्थान