कविता

महिला दिवस विशेष – कौन हो तुम

कमजोर नहीं कोमल हो तुम,
शक्ति रूपी निर्मल ज्योत हो तुम।

इक पति की बढाती शान हो तुम,
इक पिता का अभिमान हो तुम।

अपने कुटुम्ब का आधार हो तुम,
रिश्ते में विश्वास की डोर हो तुम।

मकान को अपने घर बनाती हो तुम,
सपनों का संसार बसाती हो तुम।

जिम्मेदारियों का बोझ निभाती हो तुम,
फिर भी हल्के से मुस्कुराती हो तुम ।

घर- परिवार की मर्यादा हो तुम,
त्याग की अद्भुत मूरत हो तुम।

अबला नही सबला हो तुम,
खुशियों की भाग्यविधाता हो तुम।

— शालू मिश्रा

शालू मिश्रा नोहर

पुत्री श्री विद्याधर मिश्रा लेखिका/अध्यापिका रा.बा.उ.प्रा.वि. गाँव- सराणा, आहोर (जिला-जालोर) मोबाइल- 9024370954 ईमेल - [email protected]