गीत/नवगीत

गीत

भले नहीं ईश्वर को मानें पर्व न उसके मानें
महापर्व जो लोकतंत्र का इसकी महता जानें।

नीति बनाने वाले हों वे जो खुद इस पर चलते
ऐसे लोगों को चुनने के स्वप्न रहें बस पलते
भेद-भाव जो सदा भुनाते उनसे रहना बचते
उन्हें देखना चाहें आँखें बस हाथों को मलते।

दूषित जिनसे धरा हुई यह तीर उन्हीं पर तानें
महापर्व जो लोकतंत्र का इसकी महता जानें।

सोते रहना ठीक नहीं अब समय जागने का है
औ कर्तव्य मार्ग से देखो नहीं भागने का है
नींद सही से छिटके सारी आँखें अब खुल जाएँ
अपने मत को ठीक व्यक्ति को देने आगे आएँ

शक्ति मिली जो हम लोगों को उसको सब पहचानें
महापर्व जो लोकतंत्र का इसकी महता जानें।

सतविन्द्र कुमार राणा

सतविन्द्र कुमार राणा 'बाल'

पिता: श्री धर्मवीर, माता: श्रीमती अंगूरी देवी शिक्षा: एमएससी गणित, बी एड, पत्रकारिता एवं जन संचार में पी जी डिप्लोमा। स्थायी पता: ग्राम व डाक बाल राजपूतान, करनाल हरियाणा। सम्प्रति: हरियाणा स्कूल शिक्षा विभाग में विज्ञान अध्यापक पद पर कार्यरत्त। प्रकाशित: 5 लघुकथा साझा संकलन, साझा गजल संकलन, साझा गीत संकलन, काव्य साझा संकलन, अनेक प्रतिष्ठित साहित्यक पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ, पत्रिकाओं के लघुकथा विशेषांकों में समीक्षाएं प्रकाशित, साहित्य सुधा, साहित्यिक वेब openbooksonline.com, ,साहित्यपेडिया, laghuktha.com ,लघुकथा के परिंदे समूह में लगातार रचनाएँ प्रकाशित। सह-सम्पादन: चलें नीड़ की ओर (लघुकथा संकलन), सहोदरी लघुकथा-१, २ जन्म स्थान: ग्राम व डाक बाल राजपूतान, करनाल हरियाणा। जन्मतिथि: 03/07/1981 पता: 105A न्यू डी सी कॉलोनी, नजदीक सेक्टर 33, गली नम्बर 3, करनाल, हरियाणा-132001। चलभाष: 7015749359, 9255532842