मुक्तक/दोहा

मुक्तक

“मुक्तक”

बहुत मजे से हो रहे, घृणित कर्म दुष्कर्म।
करने वाले पातकी, जान न पाते मर्म।
दुनिया कहती है इसे, बहुत बड़ा अपराध-
संत पुजारी कह गए, पापी का क्या धर्म।।

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ