दोहा
कुछ दोहे
दिया हाथ में हाथ है, दिल भी इसके साथ।
करना दिल से जतन तुम, मेरे कोमल हाथ।।-1
दिल की गागर कोमली, रखना अपने पास।
छूट न जाये हाथ से, अति सुन्दर अहसास।।-2
कभी छोड़ जाना नहीं, मर्म मुलायम साथ।
मिलते हैं दिल खोलकर, मतलब के भी हाथ।।-3
कर जाती हैं आँख यह, हाथों के भी काम।
दिल की नगरी कब बसी, चाहत राहत आम।।-4
दो पहिये में जुत गए, कृष्ण और श्रीराम।
यही भारती रीति है, यही सुसत्य मुकाम।।-5
जन्म जगह अति कीमती, हैं रिश्ते अनमोल।
मन मिलने की बात है, चलो पथिक दिल खोल।।-6
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी