मुक्तक/दोहा

दोहा

कुछ दोहे

दिया हाथ में हाथ है, दिल भी इसके साथ।
करना दिल से जतन तुम, मेरे कोमल हाथ।।-1

दिल की गागर कोमली, रखना अपने पास।
छूट न जाये हाथ से, अति सुन्दर अहसास।।-2

कभी छोड़ जाना नहीं, मर्म मुलायम साथ।
मिलते हैं दिल खोलकर, मतलब के भी हाथ।।-3

कर जाती हैं आँख यह, हाथों के भी काम।
दिल की नगरी कब बसी, चाहत राहत आम।।-4

दो पहिये में जुत गए, कृष्ण और श्रीराम।
यही भारती रीति है, यही सुसत्य मुकाम।।-5

जन्म जगह अति कीमती, हैं रिश्ते अनमोल।
मन मिलने की बात है, चलो पथिक दिल खोल।।-6

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ