हमसफ़र
वे कल तक थे हमसफ़र
आज जुदा- जुदा हो गये
सुहानी सुबह, हंसी शाम
अब सब अनमने हो गये
रोज मिलते, साथ चलते
रुठे – रुठे सनम हो गये
दोष बस इतना सा हमारा
वादा किया, लेट हो गये
लेके हाथ में हाथ उनका
सड़कों के शहंशाह हो गये
बुझ न सकी प्यास प्यार की
वे समुन्दर का पानी हो गये
हम देते रहेंगे उम्रभर दुआएं
वे कितने दूर – पास हो गये
महज चले थे दो कदम साथ
कहने को हमसफ़र हो गये …
— मुकेश कुमार ऋषि वर्मा