कविता

ऐसी चुनौती हार क्या?

गाँव उजड़ वीरान हो गये
बूढ़े,बच्चे परेशान हो गये
नदी,जलाशय सूख गए
मानो आकाश में समा गए।।

जल की रानी तड़फ रही
मानो जीने को तरस रही
हृदयविदारक है घटना
भूख से जीवन तड़प रही।।

नदिया सम्मुख सूख रही
जल से जन-जीवन कूद रही
हे परमपिता! हो रहा अकाज
पुकार सुन मैं निषादराज!

नाव क्या, पतवार क्या
सूखा पड़ा, मझधार क्या
संकट समय, आहार क्या
ऐसी चुनौती हार क्या?

पतवार मेरी उलट गई
मझधार में नौका पलट गई
किनारा दूँ असहाय वर्ग को
विकराल चुनौती कहते इसको।।

— ज़हीर अली सिद्दीक़ी

ज़हीर अली सिद्दीक़ी

जन्म : १५ जुलाई,१९९२ -भारत के उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले के जोगीबारी नामक गांव में हुआ। शिक्षा-हाई स्कूल तथा इंटरमीडिएट-नवोदय विद्यालय बसंतपुर सिद्धार्थनगर,उत्तर प्रदेश,भारत। स्नातक एवं परास्नातक- किरोड़ीमल महाविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय दिल्ली,भारत। रचनाएँ- साहित्य कुञ्ज,साहित्य सुधा,साहित्य मंजरी,मेरे अल्फ़ाज़ (अमर उजाला), ब्लॉगसेतु(मेरी धरोहर) आदि प्रकाशकों द्वारा आलेख(सामाजिक, व्यंग),कहानी, नज़्म,कविता, हाइकू कविता प्रकाशित। संप्रति- वर्तमान में रसायन तंत्रज्ञान संस्था माटुंगा मुम्बई महाराष्ट्र, भारत से पी-एच.डी. (शोधकार्य) में कार्यरत हैं। ईमेल- chem.siddiqui2013@gmail.com फ़ोन न. +९१-९९८१९२४७९१