कविता

उजड़ जाती जिंदगी 

शराब क्या होती है ख़राब

कोई कहता गम मिटा ने की दवा
जिंदगी में कितने गम
और कितने ही कर्म
दोस्तों की शाम की महफ़िल
जवां  होती ,हसीं  होती
बड़े दावे बड़ी पहचान के दावे
सुबह होते होजाते निढाल
रातो को राह डगमगाती
जैसे भूकंप आया
या फिर कदम लड़खड़ाते
हलक से नीचे उतर कर
कर देती बदनाम
जैसे प्यार में होते बदनाम
शराबी और दीवाना
एक ही घूमती दुनिया के तले
मयखाने करते मेहमानों का स्वागत
जैसे रंगीन दुनिया की बारात आई
तमाशो की दुनिया में
देख कर हर कोई हँसता /दुबकता
दारुकुट्टिया नामंकरण हो जाता
रातों का शहंशाह
सुबह हो जाता भिखारी
बच्चे स्कूल जाते समय पापा से
मांगते पॉकेट मनी
ताकि छुट्टी के वक्त दोस्तों को
खिला सके चॉकलेट
फटी जेब और
खिसयाती  हंसी
दे न पाती और कुछ कर न पाती
बच्चों के चेहरे की हंसी छीन लेती
इसलिए होती शराब ख़राब
सुनहरे ख्वाब दिखाती
किंतु पुरे ना कर पाती
डायन होती है शराब
पुरे परिवार को खा जाती
और उजड़ जाते जिंदगी ख्वाब
संजय वर्मा ‘दृष्टी’

*संजय वर्मा 'दृष्टि'

पूरा नाम:- संजय वर्मा "दॄष्टि " 2-पिता का नाम:- श्री शांतीलालजी वर्मा 3-वर्तमान/स्थायी पता "-125 शहीद भगत सिंग मार्ग मनावर जिला -धार ( म प्र ) 454446 4-फोन नं/वाटस एप नं/ई मेल:- 07294 233656 /9893070756 /antriksh.sanjay@gmail.com 5-शिक्षा/जन्म तिथि- आय टी आय / 2-5-1962 (उज्जैन ) 6-व्यवसाय:- ड़ी एम (जल संसाधन विभाग ) 7-प्रकाशन विवरण .प्रकाशन - देश -विदेश की विभिन्न पत्र -पत्रिकाओं में रचनाएँ व् समाचार पत्रों में निरंतर रचनाओं और पत्र का प्रकाशन ,प्रकाशित काव्य कृति "दरवाजे पर दस्तक " खट्टे मीठे रिश्ते उपन्यास कनाडा -अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व के 65 रचनाकारों में लेखनीयता में सहभागिता भारत की और से सम्मान-2015 /अनेक साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित -संस्थाओं से सम्बद्धता ):-शब्दप्रवाह उज्जैन ,यशधारा - धार, लघूकथा संस्था जबलपुर में उप संपादक -काव्य मंच/आकाशवाणी/ पर काव्य पाठ :-शगुन काव्य मंच