समंदर
जैसे हैं बादल गगन पर
वैसे हैं सागर की लहरें
दोनों का तन-मन सुहावन
करती हैं सूरज की किरणें
जैसे सुबहें होंगी दुपहर
वैसे संध्या होंगी रातें
जब भी रोते हैं वे बादल
चुपके सहता है समंदर
जैसे हैं बादल गगन पर
वैसे हैं सागर की लहरें
दोनों का तन-मन सुहावन
करती हैं सूरज की किरणें
जैसे सुबहें होंगी दुपहर
वैसे संध्या होंगी रातें
जब भी रोते हैं वे बादल
चुपके सहता है समंदर