ग़ज़ल
फिर वे अपनी दुकानें सजाने लगे हैं और भीड़ लोगों की बढ़ाने लगे हैं जिसे हाथ पकड़कर चलना सिखाया वे
Read Moreमन करता है आज फिर से वो अल्हड़ सी लड़की बन जाऊँ। जो चिड़िया सी फुदकती रहती थी घर के
Read Moreआसमान पर ड़ाला ड़ेरा गाँव-शहर सबको आ घेरा बड़ी दूर से चलकर आये जाने कहाँ-कहाँ से आये तरह-तरह के रुप
Read Moreप्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने अपने कार्यकाल के सुनहरे पांच वर्ष के कार्यकाल को पूरा कर लिया है। अपने
Read Moreमौसम-ए-इश्क है, उसपे ये बरसता सावन। आभी जाओ के है, मिलने को तरसता सावन। छुप गया चाँद, घटाओं के शोख
Read Moreश्रध्येय अजर अमर आत्मा श्री गोपाल दास नीरज जी की स्मृति में एक युग बीता, इतिहास रचकर चला गया। तिशनगी
Read Moreउस पारे बरसे , हम से निर्मोही हो गए बादल। तरस रही अँखियाँ, के परदेशी हो गए बादल। पहाड़ों से
Read Moreहाँ! मैं जोकर हूँ! औरों से हटकर हूँ रोते हैं सब जहाँ पर हँसता मैं डटकर हूँ बर्बाद हैं सब
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