शाबाश बच्चो
आज़ मुदित के बैग मेंं ममा नाश्ते का टिफ़िन रखना ही भूल गईं थी और मुदित नें भी ध्यान नहीँ दिया. जब लंच टाईम मेंं उसने बैग खोला तो ये देखकर अवाक रह गया कि ममां बैग मेंं टिफ़िन तो आज़ रखना ही भूल गईं थी. उसे भूख भी लग रही थी लेकिन अब क्या हो सकता था. जब छुट्टी मेंं घर पहुंचा तब ममां को याद आया हाय राम बेटा आज़ तो मैं तुम्हारा नाश्ते का टिफ़िन ही रखना भूल गई. मेरा बेटा भूखा होगा उसने मुदित को प्यार से गोदी मेंं उठा कर गले लगा लिया.
तब मुदित नें कहा नहीँ मम्मी मैं भूखा नहीँ रहा, जब मेरे क्लास के फ्रेंड्स नें देखा कि आज़ मेरा टिफ़िन नहीँ आया है तो सबने मुझे अपने लन्च मे शेयर किया आज़ तो कई तरह की चीज़े खानें को मिली. स्वाति मैगी लेकर आईं थी आर्यन पास्ता लाया था. काव्या और सौम्या आलू के परांठे लाई, मिन्नी और मान्या पोहे लाई थी और ऐरिका और सिम्मि कटलेट लेकर आईं थी. मैंने उनको मना भी किया था तो वो सब नाराज़ होने लगे कहनें लगे तू भी तो रोज़ हम लोगोँ को कुछ ना कुछ खिलाता रहता है खाएगा कैसे नहीँ निहित आदि अनन्नया मोनालि कुहू निन्नू ऋद्धि भी कुछ ना कुछ लाई थी. आज़ तो बहुत मज़ा आया
बच्चो का ये प्रेम देखकर बहुत अच्छा लगा मम्मी नें फ़िर एक बार मुदित को उठा कर गले लगा लिया
— डॉ रमेश कटारिया पारस