कविता

राम

राम तुम्हारी अयोध्या में
आज धूम मची है भारी
सबको बुलाया प्रभू आपने
बता दो कब है मेरी बारी
कब होंगे मुझे दर्शन तुम्हरे
कब आस की प्यास बुझेगी
सब पर कृपा बरसाने वाले
कब मुझपर कृपा बरसेगी
हे अराध्य मेरे हे अवतारी
हे तीनों लोकों के रखवारे
अब टारो विपदा हमारी
तुमसे ही जग में है उजियारा
है अंधियारा तुम्हरा दास
जग के सारे नाते झूठे मूठे
बस है सच्ची तुम्हारी आस
जय हो कशिल्या नंदन
जय जय हो राम तुम्हारी
— आरती त्रिपाठी 

आरती त्रिपाठी

जिला सीधी मध्यप्रदेश