मेरे अंधेरे
१.
मैं चाहता था तेरा वो आइना किरदार
मेरी इसी चाहत ने तुझे पत्थर बना दिया
२.
तेरी आरजू में गुमराह हुआ हूँ
मैं अपनी राह चलूँ भी तो कैसे
३.
बुरा होके अब अच्छा नहीं लगता
अच्छा होता कि मैं बुरा नहीं होता
४.
यही सोच खुद को मैं आहूत नहीं करता
गिरे हुए फुल ईश्वर को चढ़ाए नहीं जाते
५.
जिंदगी में अपनी ये तजुर्बा किया है
गर ‘ मैं ‘ बुरा नहीं तो कोई बुरा नहीं
— समर नाथ मिश्र