लघुकथा

पापड़वाला

आलोक को निजी नौकरी की आमदनी से घर चलाने में अड़चनें आती देखकर, पत्नी खुशबू ने सुझाव दिया पापड़ बनाने का गृह उद्योग शुरु करने का। सलाह पसंद आने पर, तुरंत हामी भर दी। 100 / 200 ग्राम के छोटे – छोटे पैकेट बनाए और छुट्टी के दिन, सुबह – सुबह साइकिल पर पापड़ों से भरा झोला लटका कर चल पड़ा, बेचने के लिए गंतव्य स्थान की ओर।
आलोक एक दुकानदार के पास पहुंचा। नमस्ते कहा। अपने पापड़ दिखाते दाम भी बताया। दुकानदार बड़ी बेरूखी से बोले, “ अगर दाम कुछ कम करते हो तो ही ख़रीदूँगा। “ आलोक ने उन्हें समझाते हुए कहा, “ भाव कम करना संभव नहीं है। पापड़ बनाना काफी कठिन काम है। इस में उच्च कोटि की काली मिर्च और जीरा डाला है। क्वालिटी के साथ कोई समझौता नहीं किया है। पहले खाकर देखें। संतुष्टि होने पर ही खरीदें। “ आलोक ने दो भुने सैम्पल पापड़ दुकानदार की ओर बढ़ा दिए। दुकानदार ने जवाब देने के बदले मुंह फेर लिया। आलोक दुकानदार के व्यवहार से निराश होकर, वहां से चला गया।
आहिस्ता – आहिस्ता आलोक के पापड़ों की बिक्री बढ़ने लगी। इसके बावजूद वो उस दुकानदार के पास हर सप्ताह जरूर जाता। पापड़ ख़रीदने को कहता। मना करने पर भी मुस्कुराकर लौट आता। कई सप्ताहों तक यही सिलसिला जारी रहा। एक दिन दुकानदार ने मोल – भाव किये बिना, ख़ुशी – ख़ुशी पापड़ ख़रीद लिये। दुकानदार ने आलोक से प्रेम पूर्वक कहा, “ मेरे रूखे – सूखे व्यवहार के बावजूद, हर बार इस आशा के साथ आना कि अबकी बार मैं पापड़ जरूर ख़रीदूँगा, यह तुम्हारी सकारात्मक सोच है। एक सफल व्यापारी में संयम, सब्र का जो गुण होना चाहिए, वो तुम्हारे अंदर मौजूद है। बहुत जल्दी तरक्की करोगे। “ अपनी स्तुति सुनकर गद्‌गद्‌ हुए आलोक के चेहरे पर, अपने उद्देश्य में सफल होने का आनंद साफ दिखाई दे रहा था।
अशोक वाधवाणी

अशोक वाधवाणी

पेशे से कारोबारी। शौकिया लेखन। लेखन की शुरूआत दैनिक ' नवभारत ‘ , मुंबई ( २००७ ) से। एक आलेख और कई लघुकथाएं प्रकाशित। दैनिक ‘ नवभारत टाइम्स ‘, मुंबई में दो व्यंग्य प्रकाशित। त्रैमासिक पत्रिका ‘ कथाबिंब ‘, मुंबई में दो लघुकथाएं प्रकाशित। दैनिक ‘ आज का आनंद ‘ , पुणे ( महाराष्ट्र ) और ‘ गर्दभराग ‘ ( उज्जैन, म. प्र. ) में कई व्यंग, तुकबंदी, पैरोड़ी प्रकाशित। दैनिक ‘ नवज्योति ‘ ( जयपुर, राजस्थान ) में दो लघुकथाएं प्रकाशित। दैनिक ‘ भास्कर ‘ के ‘ अहा! ज़िंदगी ‘ परिशिष्ट में संस्मरण और ‘ मधुरिमा ‘ में एक लघुकथा प्रकाशित। मासिक ‘ शुभ तारिका ‘, अम्बाला छावनी ( हरियाणा ) में व्यंग कहानी प्रकाशित। कोल्हापुर, महाराष्ट्र से प्रकाशित ‘ लोकमत समाचार ‘ में २००९ से २०१४ तक विभिन्न विधाओं में नियमित लेखन। मासिक ‘ सत्य की मशाल ‘, ( भोपाल, म. प्र. ) में चार लघुकथाएं प्रकाशित। जोधपुर, जयपुर, रायपुर, जबलपुर, नागपुर, दिल्ली शहरों से सिंधी समुदाय द्वारा प्रकाशित हिंदी पत्र – पत्रिकाओं में सतत लेखन। पता- ओम इमिटेशन ज्युलरी, सुरभि बार के सामने, निकट सिटी बस स्टैंड, पो : गांधी नगर – ४१६११९, जि : कोल्हापुर, महाराष्ट्र, मो : ९४२१२१६२८८, ईमेल ashok.wadhwani57@gmail.com