आत्मघाती मानसिक विकृति का शिकार होती कांग्रेस
ऐसा प्रतीत हो रहा है कि एक के बाद एक करारी पराजयों के कारण कांग्रेस का नेतृत्व मनोविकृति का शिकार होकर देश की राजधानी दिल्ली की विधानसभा चुनावों मेें शून्य पर निपटने के बाद अब देश के अन्य राज्यों में भी शून्य की ओर जाना चाहता है। आजकल कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाधी व उनकी बहिन प्रियंका गांधी तथा कांग्रेस के प्रवक्ता दिन भर अपनी बयानों की चिड़िया उड़ाते रहते हैं और वह चिड़िया उन्हीं पर अपनी विष्ठा गिराकर उनकी औकात बताकर उड़ जाती है। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि अब गांधी परिवार के लिए आराम करने का समय आ गया है।
विगत एक माह से राहुल गांधी एंड कंपनी के बयानों से स्वयं कांग्रेस पार्टी ही नहीं संपूर्ण गांधी परिवार कठघरे में खड़ा दिख रहा है और पूरा देश ही नहीं, अपितु अंदर ही अंदर दिल्ली के चुनाव परिणामों के बाद कांग्रेस के कुछ समझदार नेता भी इन लोगों से आजादी चाहने लगे हैं। 14 फरवरी के दिन राहुल गांधी पुलवामा की दुखद घटना पर ट्विट के माध्यम से सरकार से तीन सवाल पूछे कि पुलवामा हमले से किसे सबसे ज्यादा फायदा हुआ? आतंकी हमले को लेकर हुई जांच से क्या निकला? सुरक्षा में चूक के लिए मोदी सरकार मेें किसकी जवाबदेही तय हुई? जिस समय पूरा देश अपने वीर शहीदों की शहादत को याद कर रहा था उस समय राहुल गांधी की यह निम्न स्तर की भाषा आखिर क्या संकेत कर रही है? राहुल गांधी के बयानों ने देश के वीर शहीदों की आत्मा को भी झकझोर दिया होगा।
पुलवामा हमले के बाद जब लोकसभा चनावों का प्रचार चरम सीमा पर था, तब कांग्रेस व मोदी विरोधी नेताओं के बयान भी इसी प्रकार आ रहे थे और जिसका परिणाम आज देश के समाने है कि कांग्रेस अपनी पराजय की मानसिक विकृति से उबर नहीं पा रही है और न ही उबर पायेगी। यह मानसिक रूप से गुलाम कांग्रेस चाहती है कि देश व देश की सेना कभी भी मजबूत न हो सके। कांग्रेस व गैर कांग्रेसी सरकारों ने 70 साल में अब तक रक्षा सेनाओं के खरीद के लिए केवल घोटाले दर घोटाले किये थे, अब गांधी परिवार को हथियारों की खरीद मेें कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है, जिसके कारण वे बैचेन हो रहे हैं। कांग्रेस के नेताओं के बयानों से यह जाहिर हो रहा है कि वे लोग केवल और केवल अपने लाभ के लिए ही राजनीति कर रहे थे और सत्ता का सुख भोग रहे थे।
राहुल गांधी पर पलटवार करते हुए भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा का यह बयान बहुत ही उचित था कि पुलवामा नृशंस हमला था और और यह एक नृशंस बयान है कि किसको फायदा हुआ? क्या गांधी परिवार कभी फायदे से आगे बढ़कर सोच सकता है? अब गांधी परिवार ही नहीं पूरी कांग्रेस की आत्माएं भी भ्रष्ट हो चुकी हैं। आज की कांग्रेस में राष्ट्रवाद पूरी तरह समाप्त हो चुका है।
राहुल गांधी ने विगत दिनों में जितने भी टिवट किये हैं उससे उनकी दयनीय मानसिक विकृति ही उजागर हो रही है, चाहे वह कोरोना वायरस को लेकर हो। उन्होंने एक दिन जम्मू कश्मीर का गलत नक्शा ट्विट किया और फिर हटाया, उसके बाद विश्व का मानचित्र अपने टिवटर हैंडिंल पर गलत दिखा दिया, वह भी उन्हें हटाना पड़ गया। गैस सिलेंडर के बढ़े हुए दामों को लेकर उन्होंने अपने मानसिक हालात का ही परम उदाहरण पेश कर दिया।
अभी दिल्ली चुनावों के प्रचार के दौरान राहुल गांधी ने बयान दे दिया कि छः-सात महीने बाद देश का युवा मोदी जी को डंडे मारेगा, जिसके कारण उनका घर से निकलना दूभर हो जायेगा। इस बयान के बाद उनका हाल क्या हुआ है, आज पूरा देश देख रहा है। राहुल के बयान से ही वह जीरो हो गये और भाजपा के विधायकों की संख्या आठ हो गयी।
आज कांग्रेस के दूसरे नंबर के नेताओं में दिल्ली हार के बाद गांधी परिवार से आजादी की छटपटाहट दिखलायी पड़ रही है। कांग्रेस के नेता मोदी विरोध के नाम पर मोदी जी का अपमान कर रहे हैं अब उनको सरेआम नयी-नयी गालियां फिर से देने लग गये हैं। कोई मोदी जी को गोडसे कह रहा है, कोई उनको फांसीवादी कह रहा है। जबकि वास्तविकता यह है कि असली फांसीवादी तो कांग्रेस है। कांग्रेस आज पूरी तरह से राष्ट्रद्रोही हो चुकी है। देश में बह रही विकास की गंगा व अयोध्या में होने जा रहा भव्य राम मंदिर का निर्माण कांग्रेस को अंदर ही अंदर कांटे की तरह चुभ रहा हेै। वास्तव में आज की कांग्रेस पूरी तरह से आत्मघाती मनोवृति का शिकार चुकी है तथा लगातार गलतियाँ कर रही है। अब कांग्रेस के नेताओं को अपना मन शांत करके चिंतन और मनन करके अपने गिरेबान में झांककर सुधार करना चाहिए, नहीं तो उसके नेताओं की दिन प्रतिदिन ओछी हरकतों से वह देशभर में शून्य पर चली जायेगी।
— मृत्युंजय दीक्षित