गीत/नवगीत

गीत

तोड़ा न जाए इक बिरहन से
ये अश्रु का अनुबंध नयन से

ठहरी है पलकों पर , न ढ़लके
बिन्दु में सिन्धु , किन्तु न छलके
व्रत वेदिका पर वाहित व्यथाएँ
कहती है करुणा दारुण कथाएँ

रुदन से वर्जित रुठी शयन से
ये अश्रु का अनुबंध नयन से

कुल गौरव की भेंट चढ़ीं है
विधि वर्जना ये किसने गढ़ीं है
निरमोही पिया पीर न जाने

हृदय संतप्त तप की तपन से
ये अश्रु का अनुबंध नयन से

— समर नाथ मिश्र