मुक्तक/दोहा

गुरुदेव रफ़ी पर दस दोहे

सदा फ़रिश्ते की रफ़ी, तेरी ये आवाज़
है महफ़िल का नूर ये, सबको तुझपे नाज़ // 1. //

सुरों का बादशाह तू, नग़मों का उस्ताद
तुझसे रौशन महफ़िलें, सदा रहेगा याद // 2. //

सरगम की पहचान तू, गीतों का सम्मान
तेरे इक-इक गीत पर, खिल जाये मुस्कान // 3. //

दिल में है मन्नत यही, श्रद्धा वा विश्वास
रहता है तू आज भी, हमारे आस-पास // 4. //

रफ़ी ने कर दिया अमर, हर अवसर का गीत
कव्वाली हो या भजन, कोई सूफी संगीत // 5. //

सम्राट सुरों का रफ़ी, अजब-ग़ज़ब फ़नकार
रब का आशीर्वाद है, रब का है उपहार // 6. //

धड़कते दिलों की सदा, संगीत की बहार
सुकून बख़्शे है रफ़ी, रूह को है क़रार // 7. //

धन्यवाद रब का करूँ, हुनर को है क़रार
गीत रफ़ी के जो सुने, जहां में है बहार // 8. //

गायक बैजू बावरा, या कहें तानसेन
जब तक न रफ़ी को सुने, नाहि हिया को चेन // 9. //

जन्में युग में इक रफ़ी, सुन लो मेरी बात
शहद-सी मधुर तान है, सब सुनते दिन-रात // 10. //

— महावीर उत्तरांचली

महावीर उत्तरांचली

लघुकथाकार जन्म : २४ जुलाई १९७१, नई दिल्ली प्रकाशित कृतियाँ : (1.) आग का दरिया (ग़ज़ल संग्रह, २००९) अमृत प्रकाशन से। (2.) तीन पीढ़ियां : तीन कथाकार (कथा संग्रह में प्रेमचंद, मोहन राकेश और महावीर उत्तरांचली की ४ — ४ कहानियां; संपादक : सुरंजन, २००७) मगध प्रकाशन से। (3.) आग यह बदलाव की (ग़ज़ल संग्रह, २०१३) उत्तरांचली साहित्य संस्थान से। (4.) मन में नाचे मोर है (जनक छंद, २०१३) उत्तरांचली साहित्य संस्थान से। बी-४/७९, पर्यटन विहार, वसुंधरा एन्क्लेव, दिल्ली - ११००९६ चलभाष : ९८१८१५०५१६