कविता

मतलब की इस दुनिया मे

मासूमियत को अपनी बचा के तुम रखना
यह दुनिया मतलबी बहुत हैं
खुद को छिपा के तुम रखना
लोग जुबान से जो कहते हैं
जो दिल में होता वह नहीं,
कुछ ख्वाहिशों को,
अपने दिल में दबा के तुम रखना,

नए रास्तों पर चलोगे तो नए शहर भी मिलेंगे
भरोसा जिन पर कर लो वह लोग नहीं मिलेंगे,
पुराने जख्मों को अब तुम अपने याद यादों में याद रखना
जो वक्त गुजर गया है
उसका हिसाब रखना,

बातों बातों के इस दुनिया में होते बहुत मतलब
कहने से पहले कुछ भी शब्दों को तुम परखना
कभी चोट भी मिलेगी तो कभी सबक भी मिलेंगे
जो कोई गिरा दे तो
गिर के फिर संभालना है

जिसने अपना कभी ना समझा,
उसे अब कर दो पराया
जो फिर भी भूल ना पाओ
तो खुद को गलत ना समझना,

— संगीता चौरडिया

संगीता चौरड़िया B.Sc. B.Ed.

पिपलिया कला (पाली) 306307 राजस्थान