महाभारत
महाभारत
‘ज़रा थोड़ी देर के लिए शांत रहो’ टीवी पर महाभारत का सीरियल देखती हुए दादी मां ने शोरगुल करते बच्चों से कहा। ‘क्या दादी मां, कितना बोर सीरियल है, हमें खेलने भी नहीं देतीं आप’ बबली ने कहा। जवाब में दादी ने बच्चों को इशारे से अपने पास बुला कर बिठा लिया और चुपचाप महाभारत देखने का इशारा किया। भला दादी की बात कैसे मना करते। बच्चे भी महाभारत देखने लगे। जो महाभारत कुछ देर पहले उन्हें बोर लग रही थी उसमें उन्हें आनन्द आने लगा और वे दत्तचित्त होकर देखने लगे। उनकी आंखों में आते जाते भावों को पढ़ा जा सकता था। कुछ देर बाद ब्रेक आया।
‘दादी मां, अच्छा लग रहा है महाभारत देखना। कितने सारे हाथी घोड़े और सैनिक आपस में लड़ रहे हैं। पर यह क्यों लड़ रहे हैं। क्या इन्हें लड़ने से मना करने वाला कोई नहीं है जैसे आप हमें लड़ते हुए अलग कर देती हैं?’ बबली का सवाल मासूम था। ‘बच्चो, अभी जो दिखा रहे हैं वह महाभारत का युद्ध है जिसमें पांडवों और कौरवों में आपसी युद्ध चल रहा है। इसे ध्यान से देखना, मैं बाद में समझाऊंगी। बहुत ही शानदार कथा है।’ दादी ने स्नेह से हाथ फेरते हुए कहा। ‘अच्छा, दादी मां’ बबली ने कहा और उधर ब्रेक खत्म हो गया। फिर इस एपीसोड के अंत तक बच्चे शांत बैठे रहे।
खत्म होते ही बबली बोली ‘फिर कब आएगा, दादी मां।’ दादी मां हंस पड़ीं ‘ये रोज ही आ रहा है, मैं तुम्हें बता दिया करूंगी। अब जाओ खेलो। वैसे आजकल एक असली महाभारत भी चल रही है।’ ‘असली?’ बबली और अन्य एक साथ बोले। ‘हां बच्चो, असली’ दादी ने कहा ‘ये जो मैंने, तुमने, तुम्हारे मम्मी-पापा ने मुंह पर मास्क पहन रखे हैं न यह भी महाभारत के युद्ध में जीत हासिल करने के लिए हैं।’ ‘दादी मां, हमें कुछ समझ नहीं आया आप क्या कह रही हो, ये मास्क तो हमने इसलिए पहने हैं कि आजकल जो कोरोना वायरस फैला है उससे बचे रहें’ बच्चों ने कहा। ‘मैं भी यही बात करना चाह रही हूं’ दादी ने कहा। ‘तो फिर इसमें महाभारत जैसे पांडव और कौरव कहां?’ बच्चों का सवाल वाजिब था।
‘मैं बताती हूं बच्चो इसमें पांडव और कौरव कौन हैं’ दादी ने बोलना जारी रखा ‘पांडव अच्छाई का प्रतीक माने गए और कौरव बुराई का। कोरोना रूपी महाभारत में पांडव भी हैं और कौरव भी हैं। पांडव वो लोग हैं जो हम सभी की जान बचाने के लिए अपनी जान पर खेल रहे हैं। जैसे डाक्टर, नर्स, उनके सहायक, सफाई कर्मचारी, उन्हें घर से काम पर ले जाने वाले लोग मतलब जो उनके लिए वाहन चला रहे हैं, हर तरफ पुलिसकर्मी जो अपनी ड्यूटी मुस्तैदी से निभा रहे हैं तथा ऐसे बहुत से लोग जो जागृति ला रहे हैं, मानव समाज की सेवा कर रहे हैं। तुम्हें यह जानकर हैरानी होगी कि बहुत से ऐसे लोग अपने बच्चों से, अपने घरों से दूर हैं। कई-कई दिन घर नहीं जा पा रहे। इन्हें भी कोरोना से खतरा है। पर ये जाबांज खिलाड़ी हैं। इनका कोई मुकाबला नहीं। इनके प्रति हम नत-मस्तक हैं…..’
बीच में ही बबली ने पूछा ‘जैसे अभी महाभारत में श्रीकृष्ण जी थे तो आज की महाभारत में श्रीकृष्ण कौन हैं?’ ‘बेटी, इस समय हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री मोदी जी हमारे लिए श्रीकृष्ण हैं। वे सम्पूर्ण देश को इस भयानक विपदा से बचाने के लिए हम सभी का दिग्दर्शन कर रहे हैं। उन्हें पूरे देश की चिन्ता है। उन्होंने देश के प्रति अपने सम्बोधनों में बार-बार चेताया है कि कोरोना को पराजित करने के लिए अपने हाथों को बार-बार साबुन से धोते रहें, सैनिटाइज़र का प्रयोग करें, मुंह पर मास्क बांधें या गमछा या साफ रुमाल बांधें, सोशल डिस्टेंसिंग बना कर रखें, घर से बाहर न निकलें, बहुत जरूरी होने पर ही पूरी तरह से सुरक्षित होकर बाहर निकलें’ दादी ने कहा।
‘सोशल डिस्टेंसिंग क्या होता है दादी?’ एक ने पूछा। ‘बेटा इन दिनों हम सभी को एक दूसरे से दूर दूर रहना है खासतौर से बाहर किसी काम से जाने पर। एक दूसरे के बीच कम से कम एक मीटर का फासला जरूरी है। तुमने टीवी पर देखा होगा कि दुकानदारों ने दुकानों के बाहर सफेद गोले या चैकोर आकृतियां बना रखी हैं। उनमें खड़े रहना है। जैसे तुम स्टापू खेलते हो ना। अपनी बारी आने पर ही दूसरे गोले या चैकोर में जाना है। इसे सोशल डिस्टेंसिंग कहते हैं’ दादी ने समझाया।
‘इसका क्या फायदा, इससे क्या होगा?’ बबली ने पूछा। ‘हां, यह भी अच्छा प्रश्न है। मान लो हमारे घर के बाहर एक नाली है। यदि तुम उसे पार करना चाहो तो तुम उसे पार कर लोगे क्या?’ दादी ने पूछा। ‘हां, इसमें कौन-सी बड़ी बात है, ज़रा-सा कदम बड़ा किया और नाली पार हो गई और ये तो आते जाते करते ही हैं’ बच्चों ने कहा। ‘अच्छा, थोड़ी दूर गली के नुक्कड़ पर एक बड़ी सी नाली है जो चैड़ी है उसे भी इतनी आसानी से पार कर लेते हो क्या?’ दादी का प्रश्न था। ‘वो बड़ी नाली, उसे तो हम नाला कहते हैं उसे पार करने के लिए थोड़ा कूदना पड़ता है’ बबली ने कहा। ‘और तुम्हारे स्कूल के रास्ते में एक नाला आता है उसे तुम पार कर सकते हो क्या?’ दादी ने पूछा। ‘हां उसे पार करना तो बहुत आसान है, पुल पर चढ़ कर पार कर लेते हैं, वो तो आसान है, उसमें क्या?’ बबली ने कहा।
‘और अगर पुल न हो या पुल टूट जाए तो फिर तुम लम्बी छलांग मारोगे?’ दादी ने पूछा। ‘ये कैसे हो सकता है, हम तो नाले में ही गिर कर डूब जायेंगे’ बच्चों ने सहम कर कहा। ‘अरे बच्चो, मैं तुम्हें डरा नहीं रही हूं, पर अगर ऐसा हुआ तो तुम क्या करोगे?’ दादी ने बच्चों से पूछा। ‘हम घर वापिस आ जायेंगे और स्कूल की छुट्टी हो जायेगी’ बच्चों ने कहा। ‘बस यही तुम्हें बताना है, सोशल डिस्टेंसिंग का यही महत्व है। जब हम पास-पास होंगे तो कोरोना वायरस हम पर, दूसरों पर होता हुआ बढ़ता जायेगा और सबको बीमार करता जायेगा। पर जब हम सोशल डिस्टेंसिंग बनायेंगे तो उसकी वही स्थिति हो जायेगी जैसी पुल टूटने पर तुम्हारी, या तो डूबो या वापिस आओ। ’सोशल डिस्टेंसिंग’ में जब हम दूर-दूर खड़े होंगे तो कोरोना छलांग नहीं लगा पायेगा और बीच में ही गिर कर मर जायेगा या फिर वापिस वहीं आ जायेगा। इससे कोरोना की फौजें आगे नहीं बढ़ सकेंगी। हमें वह पुल तोड़ना है। यह है सोशल डिस्टेंसिंग का असर।’ दादी ने समझाया।
‘अरे वाह, यह तो बहुत आसान तरीके से आपने समझा दिया। अब तो हम भी सबको समझा सकते हैं’ बच्चे ऐसे चहके जैसे उन्हें किसी बहुत मुश्किल सवाल का आसान हल मिल गया हो। दादी जी भी हंस पड़ीं ‘चलो, जाओ अब खेलो, सभी बातों का ध्यान रखते हुए।’ दादी जी उठने लगीं और बच्चे जाने लगे तो बबली बोल उठी ‘एक मिनट, दादी जी।’
‘क्या बात है बबली?’ दादी जी ने पूछा। ‘दादी जी अभी तो यह बताना रह ही गया कि आज की महाभारत में कौरव कौन हैं?’ बबली ने पूछा। ‘अरे हां, यह जानना भी बहुत जरूरी है कि आज की महाभारत में कौरव कौन हैं। बहुत अच्छा सवाल किया है बेटी। आओ, एक बार फिर से सब बैठो।’ सब बच्चे बैठ गए।
‘बच्चो, जैसा कि मैंने बताया कि कौरव बुराई का प्रतीक हैं। इसी प्रकार आज की महाभारत में ऐसे लोग जो मास्क नहीं लगाते, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं करते वे लोग कौरव हैं। इसके अलावा कौरवों में भी महारथी थे जो आज भी हैं।’ दादी बता रही थीं कि बीच में बबली ने पूछा ‘महारथी क्या होता है?’ ‘महारथी से मतलब समझो कि बलशाली, चतुर, घात लगाने वाले। ये लोग जब उल्टे काम करते हैं तो कौरव कहलाते हैं। अपने आप को महारथी कहलाने वाले वो लोग हैं जो पांडवों की सेना पर छुपकर आक्रमण करते हैं। जैसे डाक्टरों पर, नर्सों पर, पुलिस पर, सफाई कर्मचारियों पर तथा ऐसे ही अन्य सेवा करने वालों पर। ये कौरव हैं। कौरवों की इस सेना में ऐसे भी हैं जो जानबूझकर गंदगी फैलाते हैं जिससे दूसरे लोग बीमार हों, गरीबों को दिये जाने वाले खाने को हड़प लेते हैं वे भी कौरव हैं। मतलब जो इस समय श्रीकृष्ण जी के आदेशों का पालन नहीं करना चाहते वे लोग कौरव हैं। तो ये हैं आज की महाभारत के पांडव और कौरव। और कुछ पूछना है बच्चो?’ दादी ने पूछा। ‘अभी इतना ही दादी, फिर कुछ पूछना होगा तो पूछ लेंगे, थैंक्यू दादी’ बच्चो ने कहा और लूडो खेलने चले गये। ‘थैंक्यू बच्चो’ दादी उठ गई थीं।
(चित्र आभार: गूगल जी से जुड़े स्रोत)