टाईम पास
हमारी कॉलोनी मेंं रोज़ाना सुबह से ही सेल्समैनों का आना शुरू हो जाता था
कोई चादर बेच रहा है तो कोई tv के साथ कुकर फ़्री दें रहा है
मेरे घर की घण्टी बजते ही मेरे मन मेंं भी घंटियाँ बजने लगती हैँ
बच्चे भी कहते थे छोड़ो पापाजी क्यों टाईम ख़राब करना जब कुछ लेंना ही नहीँ है तो टाईम ख़राब करते हो
मैंने कहा कहा टाईम ख़राब कैसा मैं तो टाईम पास करता हूँ रिटायर्ड आदमीं के पास टाईम ही टाईम होता है उसे तो टाईम पास करने की समस्या होती है जिसे ये सेल्समैन कुछ हद तक हल कार देते हैं
घण्टी की आवाज़ सुनते ही मैं गेट की तरफ़ लपका
तभी छोटा बेटा बोला पापाजी का शिकार आ गया
बाहर जा कर देखा तो एक कालीन बेचने वाला था
वो बोला बाबूजी कालीन दिखाऊँ मैंने कहा हाँ दिखाओ वो बोला कमरे का दरवाज़ा खोलो तो बिछाकर दिखाऊँगा
मैंने कहा यहीं पोर्च मेंं दिखाओ , वो बोला यहाँ बिछने से गन्दा हो जायेगा कितनी धूल है यहाँ
मैंने उसे कोने मेंं पड़ी झाडू उठा कर दी लो झाड़ कर यहीं दिखाओ उसने झाडू लगा कर कालीन बिछाकर दिखाया और वह उसकी तारीफ़ मेंं क़सीदे भी पढ़ता जा रहा था , मैंने उससे पूछा कितने रुपये फुट है , वह बोला बाबूजी ये 6/9फुट है ये बीस रुपये वर्ग फुट के हिसाब से 1180रुपये का हुआ , मैंने कहा ठीक है तुम इसमें से 2/2का टुकड़ा काट के देदो वो मुझे आश्चर्य से देखने लगा, ऐसा थोड़े ही होता है
हम तो पूरा ही बेचते हैं ,
मैंने कहा मुझे तो इतना ही चाहिऐ देना हो तो दो नहीँ तो जाओ ,
वह कुछ बडबडाता हुआ चला गया मुझे तो टाईम पास करना था , और उसमें मैं सफल हो गया था बच्चे और बहुएँ यह सब सुनकर हँस रहीं थी मैं भी हँसते हुऐ अगले शिकार का इंतजार करने लगा
— डॉ रमेश कटारिया पारस