हे मां शारदे
शब्द के कुछ सुमन है समर्पित तुम्हे,
बस चरण में इन्हें अब शरण चाहिए ।
हे मां शारदे
कण्ठ से फूट जाये मधुर रागनी,
गीत-संगीत में मुझे तू दक्ष कर दे।
हे मां शारदे
स्वर लहर में रहे भीगते तेरे तन वदन,
शारदा मां गुणगान नित करता रहूं।
हे मां शारदे
मिट सके तम के साये प्रखर ज्योति दो,
हंस वाहिनी शुभे शत् शत् नमन।
हे मां शारदे
मां मेरी तुम से है यही प्रार्थना कि
ध्यान में डूबकर गीत तेरे मैं गाता रहूं।
हे मां शारदे
साधना की डगर हो सुगम मां यहां
तम विमल मन मगन गुनगुनाता रहूँ।
हे मां शारदे
कल्पना के क्षितिज में नये बिम्ब हो,
चित्र जिनसे नये नित सजाता रहूँ।
हे मां शारदे
अवगुणों को मिटा दे
बुद्धि को सुमति कर दे।
— कालिका प्रसाद सेमवाल