कोरोना काल
नरभक्षक बना वो सूक्ष्म जीव,
करके अमृत पान
समुद्र मंथन था या तृतीय विश्व युद्ध,
वो आया कैसे वुहान
निहत्था होकर भी उसने
चूर-चूर कर दिया सबका अभिमान
न होता अब कोई समारोह
न ही कोई स्वागत गान
संदेश दिया उसने, अब बस यही
कि बचाओ सब अपने प्राण
मानो ये व्यंग करता हो,
और करो मनमानी, ऐ इंसान!
अन्तिम चेतावनी मान इसे
समझ बूझ का दो प्रमाण
रक्षा करो इस वसुधा की
स्वार्थ छोड़ो, चक्षु खोलो और
अर्जित करो कुछ ज्ञान!
— रूना लखनवी