कविता

कोरोना काल

नरभक्षक बना वो सूक्ष्म जीव,
करके अमृत पान
समुद्र मंथन था या तृतीय विश्व युद्ध,
वो आया कैसे वुहान

निहत्था होकर भी उसने
चूर-चूर कर दिया सबका अभिमान
न होता अब कोई समारोह
न ही कोई स्वागत गान

संदेश दिया उसने, अब बस यही
कि बचाओ सब अपने प्राण
मानो ये व्यंग करता हो,
और करो मनमानी, ऐ इंसान!

अन्तिम चेतावनी मान इसे
समझ बूझ का दो प्रमाण
रक्षा करो इस वसुधा की
स्वार्थ छोड़ो, चक्षु खोलो और
अर्जित करो कुछ ज्ञान!

— रूना लखनवी

रूना लखनवी

नाम- रूना पाठक उप्पल (रूना लखनवी) पता- दिल्ली, भारत मैंने बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी से विज्ञान में स्नातकोत्तर किया है। वर्तमान में, मैं एक फार्मास्युटिकल कम्पनी में वरिष्ठ प्रबंधक की तरह कार्यरत हूँ। साहित्यिक उपलब्धि :- वूमेन एकस्प्रेस, दक्षिण समाचार प्रतिष्ठा, आज समाचार पत्र , कोलफील्ड मिरर , अमर उजाला काव्य (ऑनलाइन) , पंजाब केसरी (ऑनलाइन) , मॉम्सप्रेस्सो में कविताएँ, लघु कथा कहानी, स्वतंत्र अभिव्यक्ति की रचनाएँ प्रकाशित। सम्पर्क https://www.facebook.com/Runa-Lakhnavi-108067387683685 सम्मान: 1. मॉम्सप्रेस्सो हिन्दी लेखक सम्मान; 2. राष्ट्रीय कवयित्री मंच- नारी शक्ति सम्मान 2020 3. साहित्य संगम संस्थान- सम्मान 4. अभिनव साहित्यिक मंच - सम्मान