दायित्व
दायित्व जब बढ़ गया, संवेदनशीलता भी बढ़ गई
दायित्व जब बढ़ गया, सहनशीलता भी बढ़ गई
दायित्वों को कभी बोझ न माना, ताकतवर हथियार ही जाना
क्योंकि, दायित्व जब बढ़ गया, गतिशीलता भी बढ़ गई
दायित्वों ने समझदारी सिखाई, लोगों की पहचान कराई
दायित्व जब बढ़ गया, तो मैं थोड़ा और संभल गई
दायित्वों ने मार्गदर्शन किया, साथी की भाँति संरक्षण किया
दायित्व जब बढ़ गया, तब जीवन में अस्थिरता भी बढ़ गई
दायित्व जब बढ़ गया, वाक्पटुता भी बढ़ गई
दायित्व जब बढ़ गया, निर्भीकता भी बढ़ गई
— रूना लखनवी