अल्फाज़
उग्र हुए
तो जला कर राख कर डाले
रिश्ते कई,
नम्र हुए
तो प्रेम की गंगा बहा बना डाले
नाते कई,
उग्र हुए
तो युद्ध करवा बर्बाद कर डाले
साम्राज्य कई,
नम्र हुए
तो प्रेम से आबाद कर डाले
राम-राज्य कई,
इंसान के ‘अल्फाजों’ में
शक्ति है सर्वप्रिय उसे बनाने की
या फिर
उसे सबसे घृणित ठहराने की।
— जितेन्द्र ‘कबीर’