कविता

गुमान न करना

हैसियत का गुमान करने वाले,
जो कभी राजा हुआ करते थे।
आज देखो तक़दीर ने करवट ली,
और वह रंक में तब्दील हो चले।
अपनी राजशाही पर गुमान था,
खो दी उसने सारी सुख सुविधाएं।
जब ग़रीबी का उपहास किया,
तब किस्मत ऐसे मोड़ लाए।
जिसको करता रहा तिरस्कृत,
आज वह है राज-करता अंकित।
जिसने मन में अपने मैल रखा,
आज उसका वर्तमान कलंकित।
— गीतिका पटेल “गीत”

गीतिका पटेल "गीत"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़)