गीतिका/ग़ज़ल

बेटियों से पहचान हमारी

माता-पिता के जान से प्यारी,
दादी-दादाजी के राज दुलारी।
बड़े लाड से कहें चाची-चाचा,
बेटियों से ही पहचान हमारी।
जिस घर जन्म लेती हैं बेटियां,
वहीं होता शहनाई की तैयारी।
बड़े ही अभिमान से कहे भाई,
बहन पुरायेगी अरमान हमारी।
बेटियों से घर में होती है रौशनी,
इन्हीं से तो बनती नई रिस्तेदारी।
बड़े ही गर्व से कहते हैं दादाजी,
बेटियां सिखाती हमें दुनियादारी।
बिना बेटियों के जग सारा सूना,
सूना रहता त्योहारों की तैयारी।
बेटियां निकलती हैं सज-धज के
पूरा होता कुल के अरमान सारी।

— गोपेंद्र कु सिन्हा गौतम

गोपेंद्र कुमार सिन्हा गौतम

शिक्षक और सामाजिक चिंतक देवदत्तपुर पोस्ट एकौनी दाऊदनगर औरंगाबाद बिहार पिन 824113 मो 9507341433