कविता

गणतन्त्र को होना था

गणतन्त्र को होना था

‘गणतन्त्र’ को होना था
जनता का, जनता के लिए शासन,
जिसमें मिलता…
हर इंसान को समानता का अधिकार,
शांत व सभ्य समाज और कानून का राज,
मगर हमनें इसे बनाया
लोकतंत्र का चीरहरण करने वाला दु:शासन,
जिसका परिणाम है…
जाति-धर्म के नाम पर इंसान की पहचान,
अशांत व उपद्रवी समाज और माफिया राज।

‘गणतन्त्र’ को होना था
गरीबी और अशिक्षा दूर करने का साधन,
जिससे होते…
पूरे स्वतंत्रता सेनानियों के सपने,
काबिल व संवेदनशील व्यवस्था और न्यायप्रिय सरकार,
मगर हमनें इसे बनाया
निजी स्वार्थ पूर्ति का ही एक साधन,
क्रूर व असंवेदनशील व्यवस्था और भ्रष्टाचारी कारोबार।

‘गणतन्त्र’ का लक्ष्य था
हर लिहाज से इस देश को बनाना ‘महान’
मगर हम बना रहे हैं इसे
अपराधियों से भरा एक अनैतिक जहान।

जितेन्द्र ‘कबीर’

जितेन्द्र 'कबीर'

साहित्यिक नाम - जितेन्द्र ' कबीर ' संप्रति - अध्यापक पता - जितेन्द्र कुमार गांव नगोड़ी डाक घर साच तहसील व जिला चम्बा हिमाचल प्रदेश 176314 संपर्क सूत्र - 7018558314