दर्दो गम से मिलेगी
दर्द-ओ-गम से मिलेगी पर, निजात आहिस्ता।
बदलेंगे, बदलेंगे, अपने हालात आहिस्ता।
तेरे जाने से, ज्यादा कुछ नहीं बदला है पर।
दिन गुज़रता है आहिस्ता से, रात आहिस्ता।
अरसा पहले बता चुका है यूँ तो दिल हमको।
होठों तक आएगी शायद वो बात आहिस्ता।
दिल जलाने को कहे जाती है दुनिया कितनी।
आ उड़ा दें ज़रा, हँस के वो बात आहिस्ता।
हर कोई आँक नहीं पायेगा कीमत इनकी।
सोच के ख़र्चीये अश्क़-ए-हयात आहिस्ता।
हर घड़ी जश्न की आदत भी ज़रूरी है ‘लहर’।
जीत तक जाती है ले कर के मात आहिस्ता।