गीत/नवगीत

सोचते हैं मुझको सब

नरमी से कोई सोचता, कोई रुआब से

अच्छे से कोई सोचता, कोई खराब से

जैसा है जो मेरे लिए वो सोचता वैसा

सोचते हैं मुझको सब अपने हिसाब से

 

सबकी सोच का अलग अंदाज रहता है

खुश कोई मुझसे कोई नाराज रहता है

जो है ईमान पर वो कहता है ईमानदार 

धोखा जिसके दिल में धोखेबाज कहता है

प्यार से कोई पुकारता जनाब से

सोचते हैं मुझको सब अपने हिसाब से

 

सुख को मेरे देखे, और तड़प ना कहे कोई

माने हकीकत कोई तो सपना कहे कोई

कहता कोई रकीब तो कोई कहे हबीब

कोई गैर मानता है तो अपना कहे कोई

आ जाऊं तो जाता नहीं किसी के ख्वाब से

सोचते हैं मुझको सब अपने हिसाब से

विक्रम कुमार

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