कविता

छोटी छोटी आँखों के बड़े ख्वाब

इंतज़ार है उस पल का ,
जब पुरा होगा ख्वाब,
मिलेगी मंजिल वो,
तो देखी है इन आँखों ने,।।

बहुत सी आशा है इनमें,
ख्वाब है बड़े बड़े ,
जो देखे जागते हुए,
इन छोटी छोटी आँखों ने ।।

हर दिन कोशिश होती,
हिम्मत टूटती रोज ,
रोज मिलती नई उम्मीद,
कदम उठाते फ़िर,
करने पूरे ख्वाब ,
जो बसे इन आँखों में है ।।।

— डॉ सारिका औदिच्य

*डॉ. सारिका रावल औदिच्य

पिता का नाम ---- विनोद कुमार रावल जन्म स्थान --- उदयपुर राजस्थान शिक्षा----- 1 M. A. समाजशास्त्र 2 मास्टर डिप्लोमा कोर्स आर्किटेक्चर और इंटेरीर डिजाइन। 3 डिप्लोमा वास्तु शास्त्र 4 वाचस्पति वास्तु शास्त्र में चल रही है। 5 लेखन मेरा शोकियाँ है कभी लिखती हूँ कभी नहीं । बहुत सी पत्रिका, पेपर , किताब में कहानी कविता को जगह मिल गई है ।