कविता

मेरे माँ पापा

मेरे माँ पापा मेरे प्राण प्रिय है
यू तो संगी साथी,जीवनसाथी सब है
पर प्राणों से भी प्रिय मेरे माँ पापा है
जीवन की पहली मुस्कान उनसे पाया है
हर कदम पर साथ इनका पाया है
मेरी सारी गलतियों को हँस कर भुलाया है
बचपन से अब तक इनका आशीष पाया
सुख-दुःख की डगर पर हाथ कभी ना छोड़ा
दूर होकर भी सर्वदा पास अपने पाया है
आज भी हर कहीं ढूंढती निगाहें मेरी
दिख जाए अजनबियों में इक झलक आपकी
हर सफर में आपकी कमी को पाया है
हो गयी हूँ सबके लिए परायी
पर माँ पापा की अब भी हूँ लाडली
जीवन मेरा धन्य ऐसे माँ पापा को पाया है
ईश्वर से यही मेरी कामना रहे
सभी के उपर माँ पापा का आशीष बना रहे
इनके समान नही कोई दूजा स्थान आता है
सभी प्रिय मेरे पर अंत तो यही सत्य है
मेरे माँ पापा मेरे प्राण प्रिय है
मेरे माँ पापा मेरे प्राण प्रिय है
— सरिता श्रीवास्तव

सरिता श्रीवास्तव

जिला- बर्धमान प्रदेश- आसनसोल, पश्चिम बंगाल