गज़ल
अध्यात्म की सीमा नहीं कोई ये सहज जान
जो घटता दिखाई दे उसी सत्य को तू मान
‘मोदी’ की जगह कोई भी होता मगर इन्सान
तूणीर कसे बैठे विपक्ष में सभी हैवान
सुविधाओं के लालचसेनिकल आएगा जिस क्षण
उस वक्त यही आदमी ले आएगा तूफान
हिन्दू या मुसलमा तो हमारे हैं दिये लफ्ज
तुम जान नहीं पाओगे ये क्रान्ति की जुबान
‘राहुल ये,’केजरी’ये,’ममता’ और ये ‘उद्धव
सब गर्त में खो जाएगे मिट जाएगी पहचान
सब वक्त के हाथों पिटे मोहरे हैं रखो सब्र
ये वक्त सिखादेगाउन्हेंहैकितनी उनकी शान
‘हिन्दुत्व’ कीजोबातकरेगावो यहाँ राज करेगा
ये ‘राम की धरती’ हैसनातन है इसका ग्यान
‘मोदी’ का नाम होगा स्वर्ण-अक्षरों के साथ
‘हिन्दोस्तान’ के लिएअर्पित हैं जिसके प्राण
हम ‘शान्त’ देशवासी उसी को तलाशते
नेता बने जो देश का हो सबसे जो महान
— देवकी नंदन ‘शान्त’