गीत/नवगीत

गीत

सोया हुआ था चांद देखो
सांझ ने आकर जगाया
रात तारों संग मिलकर
नव गीत गाकर सुनाया

सांझ के पहलू में थककर
सो गया देखो प्रभाकर
सूने सूने आसमां पर
सजके आया है सुधाकर
झींगुरों ने तान छेड़ी
नव राग गाकर बजाया

रात भर ये चांद भी
जाने किसके पास था
झील के दर्पण में देखो
प्रेमियों का वास था
रात के आगोश में फिर
क्यूं लजाकर कसमसाया

रात को लगता है डर
कहीं खो न जाए चांद  ही
इसलिए अंबर पे पहरा
दे रहे तारे सभी
चांद के चारो तरफ
घेरा इक जाकर बनाया

— प्रमोद कुमार स्वामी

प्रमोद कुमार स्वामी

करेली (म.प्र.)