कविता

शरद पूर्णिमा

वर्षा बीती शरद पूर्णिमा आई
और फिजा में शीतलता छाई
मंद मंद बह रही समीर निराली
भास्कर ने सुनहरी चुनर लहराईl
रास रचायेंगे राधा कृष्णा
खीर बनेगी चावल की
अमृत बरसेगा आसमान से
बातें होंगी मनुहार की।
बारिश होगी जगत में
श्वेत चांदनी की।
आज चांद भी सोलह
कलाएं दिखलाएगा
खुद को नीले सागर सा चमकाएगा।
धरती सज जाएगी
दुल्हन सी हरसिंगार भीनी भीनी
खुशबू से महकायेगा।
कुमार कार्तिकेय के
अवतरण की खुशी में
पूजन होगा सूर्य चंद्रमा का
मां लक्ष्मी का स्वागत होगा
रंगोली बनेगी हर आंगन में
दारुण दुखों  से रुखसती होगी
रहमत होगी अमृत की
चमकेंगे तारे टिम टिम
करते मोती से
अश्विन माह की यह पूर्णिमा
वसुधा को चांदनी से नहलायेगी।
पर्वों को नेह आमंत्रण देकर
खुशियां पास बुलायेगी।
— वंदना यादव

वंदना यादव

वरिष्ठ कवयित्री व शिक्षिका,चित्रकूट-उत्तर प्रदेश