कविता

हिंदी भाषा

संस्कृत भाषा से जो जन्मी है
संपूर्ण विश्व में जानी जाती है
सर्व प्रिय मान
सम्मान है जिसका
हिंदी भाषा है नाम उसी का
प्रेम के धागे में  बंधी हुई है
हर भाषा में समाई है।
एकता की जान है हिंदी
अपने देश की शान है हिंदी।
जगत में जिस दिन आए हम
कर्णों ने जो शब्द सुने
मां के सुंदर स्वरके साथ मिले
हिंदी भाषा के शब्द सुने।
जब हमने अधरों को खोला
तुमने ही वाणी में रस घोला।
हर पल हर दिन
इन लफ्जों में हर रिश्ते की
तुम पहचान बनी।
हम सब के एहसासों
को महसूस कराती
प्रेम प्रकट कर बिछडों
को पल भर में मिलाती।
कवि, गीतकार,
साहित्यकार बनाती
लिखे लेखनी जब जब
एक नया इतिहास बनाती।
इंसान के अनुभूति और
अभिव्यक्ति का साधन
है  जिसका संपूर्ण
संसार से बंधन।
बहु भाषाओं की जननी
हुई हुआ जब  मंथन।
— वंदना यादव

वंदना यादव

वरिष्ठ कवयित्री व शिक्षिका,चित्रकूट-उत्तर प्रदेश