गीतिका/ग़ज़ल

दोस्ती

तुम जिंदगी हो हमारी ये हम सदा खुलकर के बतायेंगे
दोस्त वादा रहा हम जीवन भर दोस्ती का वादा निभायेंगे
साथ खेले है, जीवन भर भी साथ में ही रहेंगे हम तुम
तुम जिंदगी हो हमारी दोस्त ये हम खुलकर के बतायेंगे
हमारा बचपन का दोस्ताना है, बातें मुलाकातें सब न्यारा है
बस ऐसी ही खुशियों भरी हम हर पल जिंदगी सजायेंगे
जैसे बच्चों को तितलियाँ वैसे ही मुझको तेरी अदाएं भाये
तुम जैसी हो प्यारी हो हम तो ताउम्र दोस्ती के तराने गायेंगे
हुबहूँ मेरी माँ जैसा ही तेरा भी किरदार है मेरी जिंदगी
मुझको समझे समझाये, हर हाल में तेरा साथ निभायेंगे
दुआ है यही मेरी रब से, तेरे सारे सपने साकार हो जाये
तेरी रफ्तार के आगे मुश्किल विफल लम्हे टिक न पायेंगे
तेरे जीवन मे सुरभि बिखरी रहे जीवन हो मधुवन सा
खुशियाँ  ही खुशियां छाये औऱ हम साथ साथ मुस्कुरायेंगे
— सुरभि उपाध्याय

सुरभि उपाध्याय

पोरसा मुरैना (मध्यप्रदेश)

One thought on “दोस्ती

  • ऋषभ तोमर

    वाहः शानदार

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