कविता

कवि कुछ ऐसा करिये गान

(विश्व कविता दिवस पर-21मार्च)

कवि कुछ ऐसा करिये गान,

होये  मानवता   का   मान।

दानवता   सिर   उठा   रही,

मानवता  है   सिसक   रही।।

छाए हैं परमाणु  के  बादल,

कवि कुछ  ऐसी हवा बदल।

उड़    जाएं    सारे    बादल,

ठंढी    हो    जाये   हलचल।।

कवि ऐसा अवसर कब होगा?

मानवता का सिर ऊंचा होगा।

दानवता  नत   मस्तक  होगी,

मानवता  की  इज्जत   होगी।

–अशर्फी लाल मिश्र 

अशर्फी लाल मिश्र

शिक्षाविद,कवि ,लेखक एवं ब्लॉगर