कविता

माँ

ज़िंदगी का मधुर गीत है वो,
साँसों की साँस से प्रीत है वो,
सह जाती बिन कहे सब वह,
जहां की अनोखी रीत है वो |
रक्त में बहता संगीत है वो ,
दिल का  करीबी मीत है वो ।
पिघलें गोद में सैलाब जिसकी,
 सच्ची मुस्कुराहट की जीत है वो |
लगे गर्मी तो पल में बनती शीत है वो ,
जाड़े में उष्णता-आगोश की भीत है वो।
झुके भगवान भी जिसके चरणों में,
 नन्हा है खुश-नसीब, जिसे नीत  है वो |
— भावना ‘मिलन’ अरोरा 

भावना अरोड़ा ‘मिलन’

अध्यापिका,लेखिका एवं विचारक निवास- कालकाजी, नई दिल्ली प्रकाशन - * १७ साँझा संग्रह (विविध समाज सुधारक विषय ) * १ एकल पुस्तक काव्य संग्रह ( रोशनी ) २ लघुकथा संग्रह (प्रकाशनाधीन ) भारत के दिल्ली, एम॰पी,॰ उ॰प्र०,पश्चिम बंगाल, आदि कई राज्यों से समाचार पत्रों एवं मेगजिन में समसामयिक लेखों का प्रकाशन जारी ।