हिंदी की गूंज परिवार का वार्षिकोत्सव
दिल्ली, देश की अग्रणी साहित्यिक संस्था हिंदी की गूंज का 10 वां स्थापना दिवस बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस मौके पर ऑनलाइन आयोजित कार्यक्रम में संस्था की देश व विदेश में चल रही शाखाओं के शाखा प्रभारियों व सदस्यों ने हिंदी की बिंदी को विश्व के मस्तक पर सजाने के लिए किए जा रहे अपने-अपने कार्यों प्रयासों, अनुभवों व सुझावों को साझा किया । देश के विभिन्न राज्यों सहित दुबई, जापान व कनाडा आदि से जुड़कर हिन्दी विद्वान-विदुषी कार्यक्रम के साक्षी बने।
हिंदी की गूंज के दसवें स्थापना दिवस पर रविवार की शाम ऑनलाइन पटल पर आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ हिन्दी की गूँज के संगठन सचिव खेमेंद्र सिंह चंद्रावत ने मां सरस्वती की वंदना से किया। संस्था के संयोजक नरेंद्र सिंह नीहार ने संस्था के उद्देश्यों को स्पष्ट करते हुए उपस्थित अतिथियों का स्वागत और अभिनन्दन किया। संस्था के सहसंयोजक रमेश कुमार गंगेले अनंत ने हिन्दी की गूँज के सफर, जो शून्य से शिखर की ओर अग्रसर है, का रोचक विवेचन किया।
मुख्य अतिथि के रूप में विश्व हिंदी संस्थान कनाडा, के अध्यक्ष व मूल रूप से राजस्थान निवासी सरन घई ने अपने संबोधन में कहा कि हम कविता का सम्मान करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय कविता दिवस मनाते हैं, लेकिन कवि सदैव ही गौण रह जाता है। उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि लेखक, कवि और रचनाकारों को सम्मान उनके जीवनकाल में ही मिलना चाहिए। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ साहित्यकार संजीव जायसवाल संजय लखनऊ ने अपने उद्बोधन में कहा कि किसी संस्था का नाम ही उसके चरित्र का परिचय दे देता है। हिंदी की गूंज का नाम और काम पूरे विश्व में गूंज रहा है। संस्था इसी तरह से निरंतर पूरे उत्साह के साथ कार्य करती रही तो वह दिन दूर नहीं जब हिंदी प्रथम पायदान पर पहुंचेगी । उन्होंने दक्षिण में हिंदी की अलख जगा रहे शाखा प्रभारियों के कार्यों की सराहना की। कार्यक्रम में के.शंकर सौम्य ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि–
हिंदी भाषा बोलिए दीजै इसको मान।
यह दिलवाएगी हमें दुनिया में पहचान।।
दुबई से जुड़ी नेहा शर्मा ने कहा कि हिंदी की गूंज संस्था बहुत ही अच्छा कार्य कर रही है। उन्होंने संस्था से जुड़ा अपना सफरनामा सुनाया। डॉ पूर्णिमा उमेश मैसूर ने कहा कि उक्त संस्था से जुड़कर हमें गर्व की अनुभूति होती है। चेन्नई शाखा प्रभारी रोचिका शर्मा ने कहा कि बच्चों को हिंदी से जोड़ने के लिए और भी काम करने की आवश्यकता है। डॉ. ममता श्रीवास्तव ने हिन्दी की गूँज के साथ विश्व पुस्तक मेले से जुड़ी रोचक कहानी सुनाई।. वही दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी की अधिकारी श्रीमती उर्मिला रौतेला ने कहा कि संस्था के संयोजक नरेंद्र सिंह नीहार जी का व्यक्तित्व बहुत ही प्रखर और अपनेपन का एहसास दिलाने वाला है। उनकी विचारधारा बहुत ही प्रभावशाली है। डॉ.वर्षा सिंह मुंबई ने हिंदी गूंज के उद्देश्य पूर्ति के लिए अपना पूर्ण सहयोग देने का आश्वासन दिया। वहीं वर्षा महेश ने कहा कि-
मान है अभिमान हिंदी।
बन गई पहचान हिंदी।।
संस्था के वरिष्ठ सदस्या तरुणा पुंडीर ने कहा-
हिंदी की गूँज से गूंजा संसार है।
आपसी प्रेम ही इसका आधार है।।
है नदी सी विकल इसकी धारा सरस।
विश्व नभ पे हिंदी का नीहार है।।
भाई खेमेद्र सिंह ने कहा कि संस्था बच्चों में हिंदी के प्रति रुचि व सम्मान पैदा कर रही है। बाल चौपाल आयोजित करने की आवश्यकता है। भावना अरोड़ा मिलन ने कहा कि–
शब्द नेह गागर भरी, छलकाएँ नीहार ।
स्नेह पाश में बाँध कैं, रचो हिंद परिवार ।।
संस्था के मीडिया प्रभारी प्रमोद चौहान प्रेम ने दसवें स्थापना दिवस की शुभकामनाएं देते हुए संस्था के उद्देश्यों की पूर्ति हेतु देश-विदेश में शाखाओं के विस्तार और अपने-अपने स्तर से हिंदी के प्रचार-प्रसार हेतु कार्यक्रम आयोजित करने का सुझाव दिया।
कार्यक्रम में वरिष्ठ साहित्यकार रमा शर्मा (जापान), लता नोवाल, रवि यादव, ललित शौर्य, कामता प्रसाद, शशि प्रकाश शकुंतला मित्तल, चंचल वशिष्ठ, रश्मि मिश्रा रश्मि, नीलकंठ कुमार, गिरिराज शर्मा, गिरीश चन्द्र जोशी, निर्मला जोशी, अमृता पांडे, रामकुमार पांडेय, राज श्रीवास्तव और प्रवीण कुमार आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का सफल व कुशल संचालन लौह कुमार ने किया। कार्यक्रम से जुड़े लोगों ने अपने शुभकामना संदेश पटल पर प्रेषित करके अपनी गौरवमयी उपस्थिति दर्ज की।